ठन गयी एक दिन खुदा से मेरी
कहा उसने बन्दे
नहीं किस्मत की लकीर तेरे हाथों में
जज्बातों में वक़्त जाया ना करना
हुनर हो तो अपनी किस्मत लिख दिखलाना
कहा मैंने फिर खुदा से
बन्दा सच्चा हु तेरा
ये तुमको मैं दिखलादुँगा
बिन लकीर दिलों पे राज कर
हुनर अपना दिखलादुँगा
बना कटारी से हाथ पे रेखा
अपनी किस्मत खुद मैं बना लूँगा
पर मांगने तुझ से कुछ
चोखट तेरी ना आऊँगा
चोखट तेरी ना आऊँगा
हुनर तुमको मैं अपना दिखला जाऊँगा
कहा उसने बन्दे
नहीं किस्मत की लकीर तेरे हाथों में
जज्बातों में वक़्त जाया ना करना
हुनर हो तो अपनी किस्मत लिख दिखलाना
कहा मैंने फिर खुदा से
बन्दा सच्चा हु तेरा
ये तुमको मैं दिखलादुँगा
बिन लकीर दिलों पे राज कर
हुनर अपना दिखलादुँगा
बना कटारी से हाथ पे रेखा
अपनी किस्मत खुद मैं बना लूँगा
पर मांगने तुझ से कुछ
चोखट तेरी ना आऊँगा
चोखट तेरी ना आऊँगा
हुनर तुमको मैं अपना दिखला जाऊँगा
sundar panktiya aur bhav ...हुनर अपना दिखलादुँगा
ReplyDeleteबना कटारी से हाथ पे रेखा
अपनी किस्मत खुद मैं बना लूँगा
पर मांगने तुझ से कुछ
चोखट तेरी ना आऊँगा
चोखट तेरी ना आऊँगा
हुनर तुमको मैं अपना दिखला जाऊँगा
Thanks mam .
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Thanks sir .
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