मूकदर्शक कदरदान नहीं
कला पारखी चाहिए
कटाक्ष हो या आलोचना
व्यक्त उसे करने वाला चाहिए
भावानाये जुडी हो जब
मंथन करने को
विचारों के सुझाभ चाहिए
अभिनय हो या लेखन
निखार ओर पैनी हो
मूकदर्शक कदरदान नहीं
आलोचक और समीक्षक चाहिए
समझे जो भावार्थ के अर्थ
कदरदान वैसा चाहिए
कला पारखी चाहिए
कटाक्ष हो या आलोचना
व्यक्त उसे करने वाला चाहिए
भावानाये जुडी हो जब
मंथन करने को
विचारों के सुझाभ चाहिए
अभिनय हो या लेखन
निखार ओर पैनी हो
मूकदर्शक कदरदान नहीं
आलोचक और समीक्षक चाहिए
समझे जो भावार्थ के अर्थ
कदरदान वैसा चाहिए
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