धुंधली कैसे वो तस्वीर हो
स्नेह प्यार में बंधी जब डोर हो
अनमोल कैसे ना यादों के वो पल हो
मिले जिनमे अपनेपन के रंग हो
थामी जिसने धडकनों की डोर हो
भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो
भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो
स्नेह प्यार में बंधी जब डोर हो
अनमोल कैसे ना यादों के वो पल हो
मिले जिनमे अपनेपन के रंग हो
थामी जिसने धडकनों की डोर हो
भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो
भूल उनको जाने की खता फिर कैसे हो
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