गुमराह हो जब कभी
अनजाने सफ़र को निकलो तुम कभी
आँखे बंद कर
पता दिल से पूछना तुम वही
एक नयी राह पाओगे तुम तभी
होगी मंजिल दूर कहीं
पर करीब उसे पाओगे तभी भी
अनजाने सफ़र को निकलो तुम कभी
आँखे बंद कर
पता दिल से पूछना तुम वही
एक नयी राह पाओगे तुम तभी
होगी मंजिल दूर कहीं
पर करीब उसे पाओगे तभी भी
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