Saturday, September 22, 2012

रेहन

बोझ इतना तालीम का

रेहन रख दी पुस्तक सारी

भारी भरकम शब्द जाल में

उलझ गयी बचपन बेचारी

स्पर्धा होड़ बीच

खो गयी बचपन की छाया

बचाने उस मासूमियत की माया 

रेहन रख दी पुस्तकों की छाया 

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