रंगों से आगाज हु
बस एक काले साये का आकार हु
खिलता रहा रंगों के बीच
फिर भी रंग ना पाया रंगों के रंग
सुन्दर था हर एक रंग
पर काली थी उनकी छाया
रंगों के इस रंग में
फीकी थी हर रंगों की माया
क्योंकि चमक रही थी हर ओर
सिर्फ श्याम रंगों की छाया
श्याम रंगों की छाया
बस एक काले साये का आकार हु
खिलता रहा रंगों के बीच
फिर भी रंग ना पाया रंगों के रंग
सुन्दर था हर एक रंग
पर काली थी उनकी छाया
रंगों के इस रंग में
फीकी थी हर रंगों की माया
क्योंकि चमक रही थी हर ओर
सिर्फ श्याम रंगों की छाया
श्याम रंगों की छाया