RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, August 21, 2012
अधूरे सपनों की कहानी
वो अधूरे सपनों की कहानी
मैं था और थी मेरी परछाई
चलते चलते बिछुड़ना
नियति थी हमारी
प्रेम पिपासा चक्षु जिज्ञासा
ह़र आहट बुनते
एक नयी कहानी
लफ्जों की उनको ना थी आजादी
मिलके बिछड़ने की
बड़ी अनोखी थी ए प्रेम कहानी
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