RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, August 16, 2012
पारस
अवसर कभी मिला नहीं
प्रोत्साहित कभी किसीने किया नहीं
छिपी प्रतिभा से
जग रूबरू कभी हुआ नहीं
कला जो थी सुन्दर
उभर कभी पायी नहीं
कद्रदान कभी मिले नहीं
हुनर को परख सके
पारस ऐसा कभी मिला नहीं
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment