RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, July 16, 2012
इकरार
बेजुबा थी मोहब्बत
लफ्जों में वयां ना कर पाये
नयनों की भाषा में
इकरार कर ना पाये
तरसते रहे जिनके लिए
उनसे नजरे भी मिला ना पाये
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