RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, July 25, 2012
सागर की तलहट्टी
सागर की तलहट्टी
जैसे कोई सपनों की नगरी
स्वछन्द विचरण करती
तरह तरह की जल परियां
मुस्का रही हो मानों जैसे
खिलखिलाती सपनों की दुनिया
गहरे नीले पानी में समाई
जैसे तिल्सिम भरी काल्पनिक दुनिया
कह रही हो कुदरत मानों
जैसे यह है मेरी जादुई दुनिया
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