RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, July 14, 2012
गुमनाम
किसीने कभी ऐ ना जाना
हाले दिल हमारा पहचाना
जिसे हुस्न पे मर मिटे थे
वो मुमताज महल कहा है
चुना दी थी जिसके लिए मोहब्बत
दिले दरों दीवार
दफ़न कर दीये थे
सुलगते दिलों के अरमान
कहा खो गयी उस गुमनाम की पहचान
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