RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, July 12, 2012
खुशबू
निकली थी आप जिसे गली
भटक रहा हु उस गली
महक आपकी छिटक रही
आपके चले जाने के बाद भी
उस गली ओ महजबी
ढाई आखर का ए काम है
पैगाम ए आपके नाम है
महरूम हो गया खुद से
घुल गयी साँसों में
आपकी खुशबू की महताब है
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