RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, July 3, 2012
मिथ्या जग
मिथ्या जग सारा
बनावटी मुखोटा सारा
मुखोटे में छिपी मोह माया
दूर तक नहीं सत्य का साया
मिथ्या जग सारा
तन भी नश्वर
भस्म है ईश्वर
सत्य सिर्फ मौत का साया
बाकी मिथ्या जग सारा
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