मुझसे जिन्दगी इतनी नाराज क्यों है
खफा खफा सी ह़र बात क्यों है
बार बार ह़र बार
शिकस्त ही क्यों इस नसीब में है
आखिर क्या वो बात है
कीया सारा बेकार है
नीरस हो निराश हो गयी जिन्दगी
अब तो ह़र बात एक नया व्यवधान है
जिन्दगी मेरे लिए
इम्तिहान से ज्यादा एक सवाल है
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