नींद जब किश्तों में बंट जाती है
रातें करवटें बदलते गुजर जाती है
सपने देखना दूर की बात
चैन भरी नींद को
आँखे तरस जाती है
नींद जब किश्तों में बंट जाती है
आलम उस पल ऐसा होता है
नींद के सिवा अपना ना कोई दूजा होता है
चाँद तारों कर साथ भी अधूरा लगता है
सकून भरी नींद के लिए
तन जब करवटें बदलता है
तन जब करवटें बदलता है
नींद जब किश्तों में बंट जाती है
रातें करवटें बदलते गुजर जाती है
नींद जब किश्तों में बंट जाती है
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