RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, June 18, 2012
रोती आँखे
आज भी आँखे रोती है
भरे रहते है नयन
याद आती है जब कभी
बीते लहमों की
छलछला आते है नयन
बह चला आता है सैलाब
तोड़ सब्र का इम्तिहान
तोड़ सब्र का इम्तिहान
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