धुंधलाती वो याद
मानस पटल पर उभरती मिटती छाप
अंगडाई लेते गुजरे कल के खाब्ब
ले आती वही
छानी थी जीन गलियों की ख़ाक
पड़ गयी समय की धुल
यादों के जीन पन्नो पर
बन गयी वो भूली बिसरी बात
धुंधला गयी वो याद
याद जब कभी आती है
गुजरे पल की बात
मानस पटल पर उभर आती है कोई छाप
पर धुंधला जाती है वो याद
वो याद
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