जिस मट्टी में मिली हो खुशबू बचपन की
झलकती है वो स्वाभिमान में
महकती है फिजायें बहती है हवाएं
लहराती है यादें जब दिलों के पास में
मातृभूमि है ए वो
जीते मरते है जिसके लिए शान से
अंत समय गुजरे उसकी बाहों में
ख़ाक हो जाये जीवन उस मट्टी में
जिस मट्टी में मिली हो खुशबू बचपन की
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