RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, June 7, 2012
क्यों
अजनबियों से तुम क्यों लग रहे हो
क्या राज है जो दिल में छुपा रहे हो
है जिस शरमों हया के मुरीद हम
वो हमसे क्यों चुरा रहे हो
क्या बात है तुम नजरे बचा रहे हो
क्यों खिले गुलाब को मुरझा रहे हो
अजनबियों से तुम क्यों लग रहे हो
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