RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, June 2, 2012
कहकहे
कहकहों में ग़मों को भुला दूँ
हँसती रहे बस जिंदगानी
बेफिक्री में जिन्दगी लुटा दूँ
दिल जो एक बार मुस्कादे
ग़मों के बादल छटा दूँ
जिन्दगी बस जिंदादिल बनी रहे
कहकहों में ग़मों को भुला दूँ
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