Saturday, June 2, 2012

कहकहे

कहकहों में ग़मों को भुला दूँ

हँसती रहे बस जिंदगानी

बेफिक्री में जिन्दगी लुटा दूँ

दिल जो एक बार मुस्कादे

ग़मों के बादल छटा दूँ

जिन्दगी बस जिंदादिल बनी रहे

कहकहों में ग़मों को भुला दूँ

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