Monday, May 28, 2012

उदासी

लग रहा गुलाब उदास है

मुरझाया कुम्हलाया जैसे खाब्ब है

गरज गरज बरस रहा अम्बर

जैसे करुण रुदन की पुकार है

घिर गया दिन में अंधियारा

जैसे सूर्य ग्रहण की छावँ है

बिखर गया ह़र रंग

जैसे कोई सूनी मांग है

लग रहा गुलाब उदास है

लग रहा गुलाब उदास है

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