RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, May 28, 2012
उदासी
लग रहा गुलाब उदास है
मुरझाया कुम्हलाया जैसे खाब्ब है
गरज गरज बरस रहा अम्बर
जैसे करुण रुदन की पुकार है
घिर गया दिन में अंधियारा
जैसे सूर्य ग्रहण की छावँ है
बिखर गया ह़र रंग
जैसे कोई सूनी मांग है
लग रहा गुलाब उदास है
लग रहा गुलाब उदास है
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