RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, May 28, 2012
मोम
तराशने लगे जब हाथ
पिघलने
लगे पत्थर भी
जैसे मोम पिघल जाये
पा हुनर भरा हाथ
निखर आयी पत्थर की मूरत
बदल गयी किस्मत
जैसे बेजान जिस्म में
प्राण चले आये
1 comment:
Yashwant R. B. Mathur
May 28, 2012 at 4:35 PM
बहुत बढ़िया सर!
सादर
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बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर