कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
उस अनछुई खुशी को
पहेली बन ऊलझ गयी जो
अन्दर अपने टटोल रहा हु
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
मिल जायेगी जो मृगतृष्णा
भर आयेगे ऐ दो नयना
उस पल छलकाने खुशियाँ
इस पल समेट रहा हु आंसुओ का झरना
कुछ टटोल मैं रहा हु
आंसुओ का सागर समेट रहा हु
कुछ मैं टटोल रहा हु
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