खुशियाँ इतनी मिली दर्द से नाता जोड़ लिया
गुलाब बन काँटो के संग रहना सीख लिया
ह़र गमों को मुस्कराते हुए जीना सीख लिया
अरमानों कर अम्बार लगा था
चाहतों से स्वाभिमान बड़ा था
जो मिला
हँसी खुशी उसमे बसर करना सीख लिया
खुशियाँ या गम , कम हो या ज्यादा
ह़र उस पल को
आत्मसंतुष्टि संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग रहना सीख लिया
ह़र गमों को मुस्कराते हुए जीना सीख लिया
अरमानों कर अम्बार लगा था
चाहतों से स्वाभिमान बड़ा था
जो मिला
हँसी खुशी उसमे बसर करना सीख लिया
खुशियाँ या गम , कम हो या ज्यादा
ह़र उस पल को
आत्मसंतुष्टि संग जीना सीख लिया
गुलाब बन काँटो के संग जीना सीख लिया