RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, March 14, 2012
अधूरे अहसास
कुछ अहसास अधूरे रह जाते है
टूटती है निंद्रा
सपने बिखर जाते है
कुछ अहसास अधूरे रह जाते है
संग कोई चलता नहीं
तन्हा अकेले खड़े रह जाते है
कुछ अहसास अधरे रह जाते है
धडकनों का क्या
साँसे गिनने को
दिन भी कम रह जाते है
कुछ अहसास अधूरे रह जाते है
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