POEMS BY MANOJ KAYAL
इस आस में अटकी है सांस
कभी तो पूरी होगी दिल की मुराद
बड़ी नाजुक है ए आस
डर लगता है कही पूरी होने से पहले
बिखर ना जाये साँसों के तार
यकीन है खुद को
एक दिन पूरी होगी दिल की मुराद
बस इसी आस में अटकी है सांस
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