Monday, February 20, 2012

यथार्थ

आंसुओ का मोल खुदा तुम समझ ना पाये

रुदन में लिपटी फ़रियाद तुम समझ ना पाये

दिल पुकारता रहा

आत्मा चित्कारती रही

पर इन बेबस आँखों का दर्द तुम समझ ना पाये

सहेजा था जिन आंसुओ को कभी

दफ़न हो गयी उसमे कही करुण पुकार

फिर भी खुदा तुम समझ ना पाये

इन अनमोल आंसुओ का यथार्थ

No comments:

Post a Comment