आंसुओ का मोल खुदा तुम समझ ना पाये
रुदन में लिपटी फ़रियाद तुम समझ ना पाये
दिल पुकारता रहा
आत्मा चित्कारती रही
पर इन बेबस आँखों का दर्द तुम समझ ना पाये
सहेजा था जिन आंसुओ को कभी
दफ़न हो गयी उसमे कही करुण पुकार
फिर भी खुदा तुम समझ ना पाये
इन अनमोल आंसुओ का यथार्थ
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