RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, February 16, 2012
किश्त
जिन्दगी किश्तों में बंट गयी
हसरतें
ख़्वाईसे
नगद उधार की मोहताज हो गयी
मायने जिन्दगी के बदल गए
ना दिन ना रात
ना धूप ना छावँ
किश्तें गिनते गिनते
ना जाने कब सूद के बदले
साँसे भी उधार हो गयी
ओर अब तो जिन्दगी के संग संग
साँसे भी किश्तों में बंट गयी
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