RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, January 31, 2012
सूनी नज़र
जी जिन्दगी जीन सपनों के संग
बिखर गए वो इन्द्रधनुषी रंग
करवट ली समय ने ऐसे पल
सपने सच होने से पहले
लग गयी बेदर्द जमाने की नज़र
टूट गए सपने
सूनी रह गयी नज़र
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