RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, January 6, 2012
जवाँ प्यार
घटती उम्र की नहीं
बड्ती उम्र की निशानी है प्यार
उम्र की ह़र दहलीज पे
सपनों की रवानगी है प्यार
ढलती उम्र में
गुजरे कल की निशानी है प्यार
साक्षी है इतिहास
उम्र की नहीं
दिलों की दीवानगी है प्यार
शायद इसीलिए
ढल जाती है उम्र
जवाँ हो जाता है प्यार
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