RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, January 31, 2012
पनघट
पनघट की छटा निराली
कुंए
में पानी पानी में गागरी
सर पे मटके कमर के झटके
चले जब पनिहारन उछले गागरी
खनके चूडियाँ बाजे झांझर वावरी
शर्माए घूँघट में पनिहारनी
फुट जाये जब सर पे रखी गागरी
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