मुस्का रहा था खाब्ब
शरमा रहा था चाँद
पहली पहली थी मुलाक़ात
उलझ रही थी सांस
प्यार तलाश रही थी आँख
थामा जो सनम कर हाथ
बज उठे दिल के तार
मिल गया प्यार
हो गया सपना साकार
शरमा रहा था चाँद
पहली पहली थी मुलाक़ात
उलझ रही थी सांस
प्यार तलाश रही थी आँख
थामा जो सनम कर हाथ
बज उठे दिल के तार
मिल गया प्यार
हो गया सपना साकार
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