RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, January 6, 2012
क्षण दो क्षण
प्रकृति की गोद में बैठ
क्षण दो क्षण कुदरत निहारु
उदभव उदय उत्सर्ग निहारु
चंचल सौम्य स्वरुप निहारु
बदल रही घटाओं में
अंकुरित हो रहे नये बीज निहारु
इस रमणीय हसीन नजरे को संजो रखने
प्रकृति की गोद में बैठ
क्षण दो क्षण कुदरत निहारु
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