Friday, December 30, 2011
हमारी दोस्ती
दो दिन में बिखर गयी यारी हमारी
रुसवा ऐसी हुई यारी
दिल आंसुओ के संग छोड़ गयी यारी
डर लग रहा अब करने में यारी
कहीं किसी छोटी सी तकरार पे
रूठ धोखा ना दे जाये ऐ यारी
नज़र लग गयी दोस्ती को हमारी
नया साल
आनेवाली सुबह के संग नये साल का सबेरा आयेगा
कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी यादों से भरा
यह वर्ष पल में विदा कह जायेगा
आशा करे आनेवाला नया वर्ष
नया जोश नयी उमंग लेकर आयेगा
जीत हार
हारने को मन करता
तुम से हार
दिल को सकून मिलता है
ऐ कैसा बंधन है
जिसमे जिन्दगी हार जाने को मन करता है
तुम से जीत के भी
हारने को मन करता है
Thursday, December 29, 2011
Wednesday, December 28, 2011
जिया
या आने वाले पल की बात करूँ
छोड़ो चलो आज की बात करूँ
हर पल नयी उमंग लिए जीवन आत्मसात करूँ
रह ना जाये कोई ख्वाइश अधूरी
इसलिए इस पल में जिया करूँ
हजारों साल
बिटिया तुम हो सबसे सरल
जिस दिन से महकी तेरी जिंदगानी
मिल गयी खुशियाँ ढेर सारी
नज़र ना लगे किसीकी
संग तेरे ऐसे ही मुस्काये कायनात सारी
सालगिरह की इस बेला
मंगल कामना यही है हमारी
हर अभिलाषा पूर्ण हो तुम्हारी
हजारों साल जीये बिटिया हमारी
Tuesday, December 27, 2011
लाली
सुबह की लाली
मुस्का रही कलियाँ
खिल रही लाली
बरस रहा नूर
छा रही शबनम की लाली
सिमट रही जिन्दगी
देख ठिठुरन की लाली
कोहरे की चादर में
लिपट रही सुबह की लाली
युवा शक्ति
चन्द लोगो को कठपुतली बन
नाच रही युवा शक्ति
मकसद आवाहन को भांप नहीं रही युवा शक्ति
चक्रव्यू में फंस रही युवा शक्ति
भ्रमित हो रही युवा शक्ति
एक गलत संदेश से
धूमिल हो रही देश की हस्ती
कहीं संग देश के खत्म ना हो जाये युवा शक्ति
स्वर
ऐसा जलजला आयेगा
रोक ना पाये जिसे कोई
ज्वालामुखी सा ऐसा तांडव फूटेगा
तबाह हो जायेगी कायनात सारी
एक छोटी सी चिंगारी से जब
जन मानस जल उठेगा
Tuesday, December 20, 2011
जाम
जाम छलकाने को
साकी रूठ ना जाये कहीं
इसलिए लबों से लगाने को
भुला सारी दुनिया
आगोश में इसकी समाने को
भटकती रूह को
इसकी मदहोशी में डुबाने को
मधुशाला जाते है हम तो
जाम छलकाने को
दोस्ती
वो सबसे हसीन बन गए
खोया जिन्दगी ने बहुत कुछ
कहीं तुमको भी खो ना दे
दुआ करो
हमारी दोस्ती को किसीकी नज़र ना लगे
वक़्त के संग ए ओर परवान चढ़े
आघात
बंद नज़र आते है ह़र द्वार
चीत्कार उठती है सिसकियाँ
देख ह्रदय आघात
खत्म हो जाती है जिन्दगी
अँधेरे गर्भ में समाय
टूटती है जब आस
दिल को दे जाती है आघात
Saturday, December 10, 2011
अभिशाप
दर्द के संग जीवन में कदम ले आती है
नाता दर्द से जो जोड़ा
आखरी साँसों तक उसका साथ निभाती है
शायद इसिलये जिन्दगी वरदान भी
अभिशाप कहलाती है
जिन्दगी का दर्द
ह़र दिन के बाद रात क्यों होती है
गम हल्का करे कैसे
आंसुओं से भी अब
मुलाक़ात हुआ नहीं करती है
कहे तो कहे किससे
साँसे भी दिल का साथ नहीं देती है
जिन्दगी इतना दर्द क्यों देती है
एक बार
फूल बिछा देता कदमों में
रोशन सितारों से राहें बना देता
थाम लेती एक पल को भी जो तू मेरा हाथ
मांग में तेरी सिंदूर सजा देता
चाँद को तेरा गुलाम बना देता
Friday, December 9, 2011
पहली मुलाक़ात
जैसे पहली बारिस का अहसास
था आँखों को किसीका इन्तजार
जैसे सावन को बारिस की आस
जिया धड़क रहा था बार बार
देख सनम को आस पास
जैसे कह रहा हो चाँद
बिन चांदनी मेरा क्या है अहसास
छोटी गुडिया
तितली सी उडती जाए
फूलों सी खिलती जाए
कभी हँसती जाए
कभी हँसाती जाए
दिल हर्षित करती जाए
ठुमक ठुमक चलती जाए
प्यारी सी छोटी सी ये गुडिया
नन्ही जान
परियों की तू सरताज
देख तेरी हरकतें
दिल मन ही मन मुस्काय
तुतली जुबाँ से पुकारे जब तू
ह्रदय पुलकित तब हो जाए
Thursday, December 8, 2011
उम्र
थाम लेता बचपन यहीं पर
सपनों की उस सुन्दर दुनिया में
ख्वाइश पूरी कर लेता जीने की
रंग देता जीवन के उन हसीन पलों को
बचपन की उम्र अगर फिर पास होती
काश थाम लेता बचपन यहीं पर
Wednesday, December 7, 2011
मन का डर
दिल ए डरता है
टूट जाता है दिल
पास आके कोई
दूर जब हो जाता है
मन ए कहता है
दिल ए रोता है
इश्क में जब डूब जाता है
चैन दिल का लुट जाता है
मन ए कहता है
लगन जब लगती है
दिल ए जलता है
पाने को मचलता है
इसलिए दिल ए डरता है
मन ए कहता है
विचार
मंथन किया शब्दार्थ का
बड़ गयी बैचनी भारी
अंतर भावार्थ से बदल गयी मौलिक अभिवैक्ती
उलझन भरे द्वन्द में तब कोंधी
रौशनी बन एक युक्ति
कठिन समय संयम करनी होगी
भावनाओ की स्थिथि
छट जायेंगे असमंजस के बादल
खुल जायेगी विचारों की गुंथी
मिल जायेगा हल
ओर पहेली के भंवर से निकल आएगी
विचारों की कस्ती
छलावा
इस पल सबेरा उस पल अँधियारा है
यह तो बस एक हसीन सपना है
जो मौत के संग बिखर जाना है
जीन ले जो इन पलों को खुशियों से
मरके भी वो जिन्दा रहते है लोगो के दिलों में
Thursday, December 1, 2011
ढाई आखर
कर लिया उसने अमृत्व रस पान
बहे माधुर्य कंठ से
प्रेम सुधा बन वरदान
प्यार और बोलों के आलिंगन से
खुल जाये दिल के द्वार
बजे कर्णों में एक ही धुन बारम्बार
जान लिया जिसने ढाई आखर का आधार
ही गया उसका मुरीद सारा संसार
अकेला चाँद
चांदनी की उसकी आगे
शर्माए तारों का मेला
जगमग करते तारों के बीच
चमके जैसे माथे की बिंदिया
बदले रूप देख तारों की बेला
नज़र ना लगे किसीकी
लगा लिया काजल का टीका
चाँद अकेला पर बात निराली
इसके आगे तारों की टोली हारी
फिर भी लाखों तारों में चाँद अकेला
किस राह
मुझको बतलाना तुम
सबक अच्छा मिले
उस राह का पता बतलाना तुम
पर बीच राह हाथ छुड़ा कर जाना न तुम
किस राह चलना है
मुझको बतलाना तुम
नयनों की भाषा
आँखों ने पल वो कह डाली
छुआ जब दिल को प्यार ने
अश्रु धरा बह आयी
इन्तजार खत्म हुआ
नयनों को नयनों की भाषा समझ आयी
दूजी बेला
शादी के बंधन में महका
सुन्दर फूल खिले दो ऐसे
प्यार का आंगना खुशियों से छलका
उड़ गया वक़्त पंख लगा के
आ गयी स्वर्ण बेला
वर्ण किया फिर एक दूजे को
शुरू हो गयी प्यार की दूजी बेला
Thursday, November 10, 2011
प्यार के नगमे
मिल जाती है जब जुबान
धड़कने तब बन जाती है साज
संगीत की इस मधुर राग से
फिर बरसने लगती है
प्यार भरे नगमों की बरसात
Tuesday, November 8, 2011
सपनों के घरोंदे
जिनमें हम मुस्कराए करते थे
अब तो बस यादों के सहारे
जिन्दगी गुजारा करते है
यादों के इन हसीन पलों को
जिन्दा रखने के लिए
सपनों के घरोंदे बनाया करते है
बड़े खाब्ब
झिलमिल करते तारों के संग
मचलते मासूम दिल के अरमान
रंग बी रंगी सपनों की दुनिया
दिखलाती बड़े बड़े खाब्ब
कहता है दिल , पूरे करने है अरमान
छोटे से दिल के बड़े बड़े खाब्ब
Saturday, November 5, 2011
अरमान
हसरतें अभी आधी है
चलती रहे साँसे जब तलक
तब तलक धडकनों की आस बाकि है
जूनून है ये वो
प्यास जिसकी अभी बाकी है
मिट्ठी सी कशीश है ये
साँसे जिसके लिए अब तलक बाकि है
यारों इस मासूम दिल के अरमान अभी बाकि है
Wednesday, November 2, 2011
Saturday, October 29, 2011
Tuesday, October 25, 2011
दिवाली
फूलों की माल
व्यंजनों की बाहर
पटाखों की फुहार
जगमग हुए दिल
रोशन हुई रात
ले आयी दिवाली खुशियों की सौगात
Saturday, October 15, 2011
जब दिल रोया
मैं जान ना पाया
कोशिश की मगर तुमको हसां ना पाया
तेरी मासूमियत पे प्यार आया
रो पड़ा दिल
पर तेरे चेहरे पे मुस्कान बिखेर ना पाया
Friday, October 14, 2011
अंगीकार
माथे की बिंदिया बन जाऊ
सिंदूर बन मांग में सज जाऊ
करले तू अंगीकार
धड़कन बन दिल में बस जाऊ
काजल बन जाऊ
आँखे बन जाऊ
लहू बन नस नस में समा जाऊ
करले तू अंगीकार
प्यार बन साँसों में घुल जाऊ
Wednesday, October 12, 2011
हमारी याद
पूरी हुई ना मिलन की आस
लुट गया चैन ओ अमन
पर आयी नहीं उनको हमारी याद
बिखर गया सपना
टूट गयी साँसों की रफ़्तार
जलता रहा विरह अग्नि में
पर आयी नहीं उनको हमारी याद
नया पल
कुदरत लेती एक नया जन्म
सृष्टि संरचना बदलती पल प्रतिपल
समय के गर्भ समाये जीवन के पल
पल पल ह़र पल
प्रतिपल प्रतिक्षण एक नया पल
Wednesday, September 28, 2011
मैं
महके चमन जिससे
धरा का वो फूल हु मैं
पवन की वेग हु मैं
खिले चमन जिससे
रौशनी का वो आफताब हु मैं
ओस की शबनम हु मैं
लहलहाए चमन जिससे
बारिस की वो बूंद हु मैं
जीवन का अहसास हु मैं
गूंजे चमन जिससे
धड़कन की वो जान हु मैं
Tuesday, September 27, 2011
वेदना
वेदना जो अभिव्यक्त करती है
मन मस्तिष्क को झिझोर जाती है
आघात दिल को ऐसा दे जाती है
जड़ चेतना शून्य हो जाती है
ओर ग़मों के दायरे में जीवन भर के लिए
दर्द का दामन थामा जाती है
Saturday, September 24, 2011
अनमोल माँ
कहा एक रिश्तेदार ने
भाई को मिली अपार धन दौलत
तुमको मिली सिर्फ आस
कहा मैंने , सुनो ए रिश्तेदार
सबसे अनमोल '' माँ '' मिली है मुझको , नादान
तुम क्या समझोगे
इसके आगे सारी दौलत है बेकार
खामोश आँखे
साज मिले सुर से
कह रही साँसे
टूटे दिल को मिले प्यार भरी राहें
कह रही साँसे
बेकरार दिल तलाश रहा बाहें
खामोश आँखे ढूंड रही साँसे
मासूम मन
चुपके से तुने जब दिल को छुआ था
लगन वो ऐसी लगी थी
बिन कहे ह़र बात कह गयी थी
प्यार भरी वो मीठी खुमारी
ठंडी आहेँ छोड़ गयी थी
मासूम मन तब बहला था
चुपके से तुने जब दिल को छुआ था
मासूम मन तब बहला था
Monday, September 19, 2011
आधार
शब्दों में वयां उन्हें कर पता नहीं
काश स्वरुप के उसको
कोई आकर मैं दे पाता
हकीक़त में जीने का
आधार उसे बना पाता
खाब्ब संजोये थे नयनों ने जो
पूरा उन्हें मैं कर पाता
आशाये
झुक गया हिमालय
उसकी आभा किरणों से
सज गए शिवालय
गूंज उठी अजान स्वर लहरी
प्रभात बेला फिर चली आयी
संग अपने नयी आशाये ले आयी
वाबरा मन
खोजे फिरे पिया का आंगना
मन वाबरा ओ मन वाबरा
पिया रंग मन ऐसा रंगा
अब पिया बिन जिया लागे ना
मन वाबरा ओ मन वाबरा
गाये गीत प्यार का
आजा ओ पिया ओ पिया
तुझ बिन अब जिया जाये ना
मन वाबरा ओ मन वाबरा
बचपन की याद
चल देते थे बाज़ार
पकड़ पिता का हाथ
तलाशती रह जाती माँ
लग जाती आँख मिचोली
भाई बहनों के साथ
ना कोई फिक्र थी
ना थी कोई चिंता
सपनों की तरह बीत गया बचपन
अब तो बस शेष रह गयी
यादें ही यादें
सवाल
जबाब मगर ह़र बार अधूरे मिलते है
क्योंकि दिल सच्चाई को स्वीकार करता नहीं
ओर मष्तिष्क दिल की बात अनसुनी करता नहीं
Sunday, September 11, 2011
मौन आँखे
गुमशुम मौन आँखे
चुपचाप सुनती है
आंसुओ में लिपटी आँखे
छलछला आने को तरसती है
डरती है मगर सोच के
भावनाओ के सैलाब में
कही जिन्दगी बह ना जाये
ओर दर्द के साये में
सहमी सहमी सी जिन्दगी गुजरती रहती है
Monday, September 5, 2011
बेताब
अफ़सोस मगर तू सितारों के पास है
ख्वाईस फिर अधूरी है
मगर यादें अब भी दिल के पास है
दूर हो तो क्या
इन आँखों को अब तलक बस तेरी ही चाह है
Saturday, September 3, 2011
शायद
आधी जिन्दगी गुजर गयी
मुराद पर पूरी ना हुई
कमी ना जाने कौन सी रह गयी
तम्मना कुछ ओर अब ना रही
तक़दीर शायद यही थी
सोच जिन्दगी मौन हो गयी
बौना
खोल दिये सारे राज
मुमताज अपनी प्रेम कहानी के आगे
बौना दिखेगा ताज
पैगाम है प्यार के नाम
जमाने ने कब समझा
लैला मजनू का बलिदान
तुम जो करलो हमारा प्रस्ताव स्वीकार
तोहफे में ला देंगे तुम्हे पूरा चाँद
कुछ भी कहे अब दुनिया
सितारों के बीच होगा अपना मुकाम
सबसे जुदा , पर अनोखा होगा अपना प्यार
यादों के संग
उदासी में गुम दिल को फिर खिला दीये
बेकरार मैं आज भी संग तेरे जीने को
पर गुम हो गयी तुम कही
छोड़ हमें यादों के संग जीने को
इम्तिहान
इम्तिहान की ऐ घड़ी भी गुजर जायेगी
जीत ली जो संयम की बाज़ी
इस रात की सुबह फिर आएगी
बुलंद रख हौसले को
हार भी जीत में बदल जायेगी
अंतर्ध्यान
आवारा पागल हो गया
हसरतें गुजरे कल की बात हो गयी
कलम जो साथ थी
वो भी साथ छोड़ गयी
अब तो याद ही ना रहा
शब्दों की प्रेरणा कब अंतर्ध्यान हो गयी
Sunday, August 21, 2011
आन्दोलन
ह़र हिन्दुस्तानी सड़को पे आ गया
देख इस जन आक्रोश
असमंजस में घिर गयी सरकार
सोचा ना था भ्रष्टाचारके खिलाफ
कभी ऐसा भी उमड़ेगा जन सैलाब
मूकदर्शक बन गयी निक्कमी सरकार
सुनी नहीं इसने वक़्त की आवाज़
छिड़ गया जो रण अब भ्रष्टाचार के खिलाफ
कमर कसह़र हिन्दुस्तानी हो गया त्यार
अपने लहू से लिखने एक नया इतिहास
दिलाने देश को उसको खोया सन्मान
जागो लोगो ए है वक़्त की पुकार
जय भारत जय हिंदुस्तान
Thursday, August 11, 2011
खफा
पर देने के लिए मेरे पास
दुआओं के सिवा कुछ ओर नहीं
ह़र पल तुने नये रंग दिखलाए
जो सच ना हो सके
उन खाब्बों के संसार बनाये
ख़ुशी कभी मिली नहीं
ओर आंसुओं ने साथ कभी छोड़ा नहीं
फिर भी ए जिन्दगी मैं तुझसे खफा नहीं
संदेशा
हवाओं ने रुख मेरा घेरा है
वर्षा में रंग मेरा है
बूंदों में तन तेरा है
भींगे तुम जो सजन
मधुर मिलन ए अपना है
बादलों में संदेशा है
Saturday, July 23, 2011
पिता की याद
याद दिला रही आपकी बातें
छोड़ इस रोज साथ हमारा
इस जग को आप त्याग गए
पर सच्चे मार्ग दर्शन को
सुनहरी यादों की सौगात दे गए
अनूठा प्यार
फासला है इतना
मिलन कभी हो सकता नहीं
पर एक दूजे बिन रह सकते नहीं
तुम चाँद बन गयी
मैं धरा बन गया
एक दूजे को बस निहार सके
अपने प्यार की ऐसी नियति बन गयी
सावधान
हवालदार खबरदार
जाग रहा है पहरेदार
आँख मिचोली खेल रहा
चोरों का है सरदार
सतर्क निगाहों ने पकड़ ली
चोर की ह़र चाल
जरा सी चुक से
चोर बेचारा पहुँच गया हवालात
सवधान होशियार
Friday, July 22, 2011
कशमकश
कशमकश में उलझी सांस
ह्रदय कहे
प्रगट करे कैसे इस दीवाने दिल के विचार
सिर्फ दो लफ्जों की है बात
कांपते है लव
पर कहने में दिल की बात
क्या पता उनको अच्छी ना लगे
जज्बातों भरी पात
कशमकश में उलझी है सांस
अंतिम साँसे
अंतिम साँसे गिन रही जिन्दगी
गुजर गया ह़र वो पल वो लहमा
ललक थी जिसमे जीने की
अब तो सपना बन रह गयी जिन्दगी
बस कुछ पल की मेहमा रह गयी जिन्दगी
अनंत निंद्रा में विचरण
व्याकुल हो गयी जिन्दगी
झलक जीवन की दूर हो गयी जिन्दगी
पलकें सदा के लिए मूंद ली जिन्दगी
कर सफ़र जीवन का खत्म
विदा हो गयी जिन्दगी
विदा हो गयी जिन्दगी
प्यार की बात
प्यार की बात
आती है जब जुबां पे
छेड़ जाती है दिल के तार
चहक उठती है सपनों की दुनिया
सुन उमंग प्यार की बात
खाब्बों सी हसीन दिलकश होती है
दिल की आवाज़
मिली होती है इसमें
जज्बातों की मिठास
कशीश होती है प्यार की
बहती है जो सपनों के साथ
इतनी मधुर दिलकश होती है
प्यार की बात
निंद्रामग्न
समुद्र की लहरे भी लाजबाब है
ना वो वेग है
ना वो तरंग है
धारा जैसे मौन है
खामोश समुद्र जैसे निंद्रामग्न है
Monday, June 20, 2011
नया भारत
नफरत की बेड़ियों में जकड़ी
दास्ता से इसे मुक्त करे
ज़हा ना भाषा को हो भेद
ना भाषा आधारित हो राज्य
ऐसी सुन्दर कल्पना साकार करे
सबको मिले समान अधिकार
स्वतंत्र हो सब प्रगट करने अपने विचार
जाति धर्म अमीरी गरीबी को भुला
खुद को हिन्दुस्तानी कहलाने में गर्व हो
ऐसे परिवेश की सृष्टि करे
आओ मिल बदल दे वक़्त की रफ़्तार
जन क्रांति से रच दे नया इतिहास
लोकतंत्र से जनतंत्र तक
पैगाम ए ह़र जनमानस तक पहुचा दे
स्वतंत्रता है हमारा जन्म सिद्ध अधिकार
आओ नये भारत की कल्पना को साकार बना दे
हकीक़त में अपना भारत महान बना दे
Tuesday, June 14, 2011
कलम की ताकत
जंग लड़ी जिन्होंने सुरवीरों सी
सुन अवाम की आवाज़
विद्रोह कर दिया दोनों ने
प्रशासन के खिलाफ
कूद पड़े जंग ऐ मैदान
एक ने थामी थी तलवार
तो दूजे ने कलम को बना लिया अपना हथियार
पहले योद्धा का लड़ते लड़ते
रण भूमि हो गया बलिदान
कुचल दिया प्रशासन ने
हिंसा से भरा क्रांति मार्ग
पर दूजे ने कलम से बदल दिया इतिहास
जाग गयी चेतना
पढ़ क्रांतिवीर के सुन्दर विचार
उमड़ गया सड़कों पर जनता का सैलाब
अपने घुटने नतमस्तक हो गयी सरकार
देख रक्तविहीन क्रांति का आगाज
जीत गयी कलम हार गयी तलवार
कलम का दम
मिल जाये कलम का सहारा
क्रांति फिर कभी असफल होती नहीं
पर आसानी से मिलती नहीं आज़ादी राह भी
मिलती है सफलता हार के बाद ही
अगर कलम में हो दम
क्रांति को फिर कोई दबा सकता नहीं
सपना
रचा बसा हुआ है जिसमे मन मेरा
खिलते हुए गुलाब सा तेरा हसीन चेहरा
आ कर अटक गया उस पे दिल मेरा
जैसे आज तुम बन गयी मेरा सपना
वैसे में कब बनूगा तेरा सपना
बतलाना मुझको ए हसीना
Saturday, June 11, 2011
क्रांति
बदल गयी कायनात सारी
हो गया साम्राज्य छिन्न भिन्न
पड़ गयी अवाम की आवाज़ भरी
जन क्रांति ने ऐसी राह दिखला दी
सोई मानव चेतना जगा दी
बदले परिवेश
आन्दोलन की भेंट चढ़ गयी तानाशाही
सफल हो गया सत्याग्रह
परिवर्तन ने ऐसी लहर चला दी
Sunday, June 5, 2011
पस्त होसलें
देख दुर्गम मार्ग
पस्त हो गए होसलें
मंजिल ना थी इतनी आसान
बीच राह छोड़ दिया प्रयास
इसे नियत मान
वो डरपोक कायर था नादान
झुक गया घुटनों के बल
कर अपनी हार स्वीकार
Friday, June 3, 2011
जीवन खुशबू
उत्तार चढ़ाव से भरा होता है जीवन काल
मौत बना लेती है जीवन को ग्रास
पर कहती है नियति
आत्मा में रहती है
जीवन खुशबू विधमान
महकती रहती है जो
इंतकाल के भी बाद
तेरा सुरूर
तेरा जिक्र चला था
सुनके तेरे चर्चे
मदहोशी का आलम छा गया था
बिन जाम को लबों से लगाए
तेरा सुरूर छा गया था
Thursday, June 2, 2011
बुरा
पर उतना भी नहीं
जितना लोग कहते है
दर्द का अहसास मुझे भी है
पर जमाने ने किये
इतने जुल्मो सितम
की चाह कर भी दिखावे को
अच्छा बन नहीं सकता
अब तो बस आदत सी हो गयी है
ऐ जिन्दगी की कहानी सी बन गयी है
जाने अनजाने
राहें अपनी जुदा है
ऐ हमे बतला दिया
पर नाता दिलों का टूट सकता नहीं
नाम रिश्तों के बदल सकते नहीं
इसलिए तेरी खुशियों की खातिर
खुशी खुशी अलविदा हमने कह दिया
वरदहस्त
गुमनाम अनजान को
वरदहस्त मिली छत्र छाया
इस परोपकार ने बदल दिया
उस अनजान का जीवन सारा
Saturday, May 21, 2011
वाणी
ओजस्व वाणी बहे जिनके मुखारबिंद से
बन श्रृंगार रस की मुधर धारा
उनके ह्रदय कण कण विराजे
प्रेम अनुराग की धारा
स्वयं सरस्वती विराजे
इन मधुर कंठ की छाया
बहे फिर कैसे नहीं
मीठे रस से भरी
प्रेम रस की भाषा
डर
अंतरमन की व्यथा कहने से डरता हु
गैरों के उपहास से
क्रोधाग्नि में जलने से डरता हु
हां मैं स्वीकार करता हु
मैं डरता हु
आत्मसमान की खातिर
आत्मग्लानी में जलने से डरता हु
जिन्दा रहने की लिए
मरने से डरता हु
हां मैं डरता हु
दोष
पुलिंदा शिकायतों का
गफलत ही गफलत
कसर ही कसर
ध्यान केन्द्रित नहीं
भूल अपनी स्वीकारे नहीं
औरो के सर
दोष मडने से चुके नहीं
लापरवाह बेरुखी से
किसी कार्य का निष्पादन नहीं
अधूरी हसरतें
जुदा हो गयी फिर राहें
अधूरी रह गयी
फिर सब हसरतें
सितम वक़्त ने
फिर ऐसा किया
मिलाके बिछड़ने को
फिर से मिला दिया
सुलगते अरमानों को
फिर से बुझा दिया
ह़र लहमों को फिर से
अनजाना बना दिया
Tuesday, May 10, 2011
जोर
बहते आंसुओ का ठिकाना नहीं होता
ख़ुशी हो या गम के
आंसुओ पे जोर किसीका नहीं होता
लक्ष्य
सुनहरे भविष्य को सिरमौर करने
बड़ चले कदम
अंकुरित हो नयी फसल
खिल उठे सुन्दर कपोल
करने कल्पना को साकार
बड़ गए कदम
कह रही जिन्दगी
कर्म ही पाठशाला
पा लक्ष्य को
खुशियों से
छलक गए नयन
ओर बह रही अश्रुधारा में
मिल बह गया कष्ट सारा
चिंगारी
जिंदगानी सारी
धूं धूं कर सुलग उठी
कायनात सारी
प्रबल प्रचंड अग्नि लपट
पल में भस्म हो गयी
धरोहर सारी
तपिश
मन को तेरे
प्रेम अगन में
झुलसा गयी
जल गया तन भी
जब तुने साँसों से साँसे मिला दी
Saturday, April 23, 2011
बेटिया
माँ बाप के पास
कुछ पल की मेह्मा होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
छोटे से इस अंतराल में
रंगों से भरी खान होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
चहचाहट से जिसकी गूंजे आँगन
सपनों सी वो शहजादी होती है
बेटिया तो बस अहसास होती
माँ की ममता पिता की आन होती है
जिस घर जन्मे
उस घर की शान होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
रुला बाबुल को
एक दिन
प्रियतम की डोर थाम लेती है
बेटिया तो बस एक अहसास होती है
पर जिन्दगी में
वो सबसे खास होती है
बेटिया तो बस अहसास होती है
साज नया
गीत प्यार भरे गुनगुना है
तेरी नस नस में
सरगम बन बस जाना है
तेरी धडकनों को
अपने प्यार भरे संगीत से सजाना है
मैंने साज नया गाना है
हवा का झोंका
जो कही ठहरता नहीं
बांधे कोई डोर
मुझे रख सकती नहीं
रंग है मेरे अनेक
दामन मेरा कोई
थामेरख सकता नहीं
तेरी याद
याद तेरी दिल से जाती नहीं
ना जाने मुझको क्या हो गया
तुझसे आगे दुनिया नज़र आती नहीं
Friday, April 22, 2011
कृष्ण नाम संग
मगन हो गयी मीरा
मोहन नाम संग
छोड़ महलों को
थाम ली कृष्ण मुरारी की डगर
विषपान कर गयी
कर अपने गोपाल को स्मरण
अमर हो गयी मीरा
कृष्ण नाम संग
साँसों के साथ
हमको नींद से जगा दिया
ह़र पल अब बाँहों को है
तेरा ही इन्तजार
मेरी साँसे अटकी है
तेरी साँसों के साथ
आधार
कहा उन्होंने
गोल गोल करो ना बात
कहा हमने
गोल गोल कुछ भी नहीं
मेरा तो है बस यही
मीठे बोलो का अंदाज
बुरा अगर लगा हो तो
माफ़ करना मेरे यार
ओर अब तुम ही बतलाओ
क्या होना चाहिए
अपने रिश्ते का आधार
गहरे राज
गहरे राज
बुझ सको तो जानू यार
की तुम हो मेरा प्यार
वर्ना करना ना
तुम मेरा इन्तजार
तेरी महक
निगाहें कुछ ओर देखती नहीं
तेरे सिवा
ह़र आहट में तलाशे
तेरी ही खनक
ह़र फूलों में तलाशे
तेरी ही महक
ख़त की चासनी
मिठास कम रह गयी
भेजे मेरे पैगाम का जबाब
इसीलिए अब तलक आया नहीं
कोई बात नहीं
इस संदेश के बाद उतर ना आये
ऐसे भी हालत नहीं
बाँहों में
तेरे दिल में हु मेरे प्यार
ढूंढे नजरे तुझे मेरे यार
तेरी आँखों में छुपी है
मेरी तस्वीर मेरे प्यार
होटों पे सिर्फ तेरा ही नाम
ओ मेरे प्यार
लो चली आयी
तेरी बाँहों में मेरे प्यार
Thursday, April 21, 2011
नया गीत
गीत प्यार भरा गुनगुनाना है
तेरी नस नस में
सरगम बन बस जाना है
तेरी धडकनों को
अपने प्यार भरे संगीत से सजाना है
मैंने गीत नया गाना है
लेखन
फिर भी लिखने की कोशिश करता हु
दिल के भावार्थ को
शब्दों में पिरों
यादों के लिए रखता हु
ज्ञानी नहीं अज्ञानी हु
फिर भी लिखने की कोशिश करता हु
शर्माए दिल
ह़र फूलों में तेरा आकर
इतना मीठा तेरा साथ
पल पल शर्माए दिल
कर तुझको याद
Friday, April 15, 2011
जबाब
बहाने
मुलाकातों के अवसर अक्सर तलाशते है
बातों के लिए बहाने तलाशते है
इश्क में ना जाने
लोग क्या क्या गुल खिला जाते है
चाँद को भी
महबूब के आगे फीका बतला जाते है
Thursday, April 14, 2011
दिल का तार
मेरी कविताओं में छुपे है
मेरी जिन्दगी के राज
ए कवितायेँ है
मेरी सच्ची भावनाओ की आगाज
जिसने जान लिया इनका आधार
छू लिया उसने मेरे दिल का तार
जाने अनजाने
जाने अनजाने
पुराने जख्म दर्द दे जाते है
घाव जो
फिर हरे हो जाते है
दिल को चुभों जाते है
पर
आंसुओं के मरहम में
सारे दर्द घुल जाते है
साये में
खुली जुल्फों के साये में
बारिस का लुफ्त उठा रहे है
ह़र बूंदों में सपने नये बना रहे है
काली घटाओं के दरमियाँ
आशियाँ नया बना रहे है
खुली जुल्फों के साये में
बारिस का लुफ्त उठा रहे है
ठंडी फुहार
तुम जीवन में बारिस की
ठंडी फुहार बन आयी
मुरझाते चमन में
खुशियों की बाहर बन आयी
दिल की वादियों में
प्यार की सौगात बन आयी
तुम जीवन में बारिस की
ठंडी फुहार बन आयी
इजहार
तेरी कातिल नजरों ने
चल दी अपनी चाल
तेरी मुस्कराहट पे
दिल हो गया कुर्बान
संग दिल अब ना बनो यार
अब तो कर दो
प्यार का इजहार
बाबरी
डगर डगर नगर नगर
पनघट पनघट फैली खबर
मीरा हो बाबरी
रटत फिरत है
ले श्याम का नाम
श्याम कहे मत भटक बाबरी
हम तो तेरे ह्रदय ही विराजमान
आँखों से
हम बंद आँखों से
आप का दीदार करते है
दिल जो तस्वीर बना है
उस कल्पना को
कविता में पिरों कर
ह्रदय में बसा लेते है
Tuesday, April 12, 2011
वर्णन
सुन्दर नाजुक कोमल तन
प्यार भरा मीठा मन
कमसिन जिन्दगी भोलापन
खिलता यौवन मुस्कराता बचपन
तेरे इस हसीन वर्णन में
झलक रहा मेरा समर्पण
करू तुझे मैं अर्पण
कह रहा मेरा मन
Saturday, April 9, 2011
दांव
Sunday, March 27, 2011
दिशाएं
ह़र कदम जो उठ रहा है
एक नयी मंजिल की ओर बड़ रहा है
दिशाएं अब अनजानी नहीं
ह़र कदम कारवां नया बन रहा है
कैसे
मेरे दर्द से तुने अगर नाता जोड़ा होता
खुदा तुने इंसा बनाया ना होता
पर तुने तो इंसा बनाये दर्द सहने को
इसीलिए मुझसे नाता कैसे जोड़ा होता
व्यवहार
जिन्दगी ने ह़र निराश कर दिया
जब जरुरत पड़ी
तब अपनों ने भी दरकिनार कर लिया
जिस जैसे अच्छा लगा
उसने वैसा व्यवहार किया
किसीने जिन्दगी का चीरहरण किया
किसीने आबरू का वस्त्रहरण किया
जिन्दगी ने ह़र पल सिर्फ निराश किया
मन ही मन
ज़िक्र जो तेरा चला
वक़्त कुछ पल को
थम सा गया जैसे
शांत धड़कने तेरे हुस्न के चर्चे
चुपचाप सुनती रही
मन ही मन तेरी तस्वीर बनाती रही
स्वांग
तेरे इश्क में जाने कैसे कैसे स्वांग रचाए
तरह तरह के रंग लगाए
तेरी आरजू को फिर भी
मुखोटे में छुपा ना पाये
नकाब सारे नाकाम हो गए
अफ़साने मोहब्बत सरेआम हो गए
दिलकश
तेरी दिलकश अदा दिल को भा गयी
तेरे नए नाम ने ना जाने कितने
दिलों पे छुरियां चला दी
तेरे हुस्न ने पानी में आग लगा दी
तेरी दिलकश अदा दिल को भा गयी
खिदमत
तेरे इश्क में ए इंसान बीमार है
भुला सब कुछ
तेरे हुस्न के नगमे गाने को बेताब है
तू जो हां कह दे तो
तेरी खिदमत को ए गुलाम त्यार है
Wednesday, March 16, 2011
गुजरा ज़माना
इश्क अपना गुजरे ज़माने की बात हो गयी
सदिया गुजर गयी
पर कशीश की महक
दिल की वादियाँ खिला गयी
सोयी यादों को फिर से जगा गयी
बृज
ओ हो रंग गयो बृज होली के रंग में
आ गयी राधा खेलन होली किशन के संग में
मारी भर भर पिचकारी राधा के अंग पे
रंग गयी राधा श्याम रंग में
झूमे गोपिया नाचे मोरिये
उड़ा गुलाल अबीर राधा नाचे किशन के संग में
ओ हो रंग गयो बृज होली के रंग में
शोले
मौजो की मस्ती से
साहिल के किनारे टूट जाते है
अश्को के सैलाब में
सारे गुम घुल जाते है
आंधी की मस्ती में
चमन के चमन उजड़ जाते है
प्यार के वयार में
नफरत के शोले दब जाते है
फागुन
रंगों की बाहर आयी
होली की मस्ती छाई
फागुन की रंगीन वयार में
मस्त हो गयी दुनिया सारी
रंग बिरंगो से रंग गयी
धरती आकाश सारी
उड़ते गुलाल बजते चंग की धमाल में
मद मस्त हो रंग गयी दुनिया सारी
अनमोल आंसू
आंसू बड़े अनमोल है
इन्हें यूँ ना जाया किया करो
ज़माने ने कब इनकी क़द्र जानी
वक़्त बेवक्त रो इनपे यूँ ना सितम ढाया करो
Friday, March 4, 2011
मीठी नींद
मीठी नींद सुला दे
सपनों की दुनिया की सैर करा दे
माँ की वो लोरी
प्यारी थाप याद दिला दे
अंगडाई ले करवट बदलते तन की
थकान मिटा दे
भुला दुनिया सारी
एक मीठी नींद सुला दे
ओ निंदिया रानी
बाहों में भर मीठी नींद सुला दे
निंदिया
पर निंदिया रानी पास ना फटके
अधखुली आँखे सोने को तरसे
पर निंदिया रानी पास ना फटके
सोने में खोने को आतुर रातें
पर निंदिया रानी पास ना फटके
गुजर गयी रात सारी
पर निंदिया रानी पास ना फटकी
विवशता
आती जब मेरी बारी
लाचार क्यों हो जाते हो तुम तब
विवशता ऐसी भी क्या बन बन आती है
फ़रियाद मेरी तुमको सुनाई भी नहीं आती है
तिरंगे की शान
विजय ध्वनि शंखनाद के संग
रहे ना कोई अनपढ़ गंवार
अलख परिवर्तन की जगे
मिले सबको शिक्षा का अधिकार
बने एक सभ्य समाज
हो देश को जिसपे नाज
विश्व शिखर पे लहराए
तिरंगे की शान
आलिंगन
धूमिल होने लगा आशा का संचार
पर यकीन की लो अभी भी है बरकरार
उम्मीद की शमा बुझने से पहले
फ़रियाद मेरी भी होगी स्वीकार
खुशियों की किरणे बाहं फैलाए
आलिंगन करेगी मेरे विश्वास को आए
प्रबल अभिलाषा
ह़र कदम कामयाबी के
शिखर को चूमने है बेकरार
अध्याय जुड़े नया
प्रबल अभिलाषा ऐसी है खास
करने इस सुन्दर सपने को साकार
मह्त्वाकांछा के रथ पे हो सवार
फ़तेह अर्जित करनी है आज
वरदान
पर दिल में है विधमान
आज भी आप ही की याद
हम चिरागों के दीये रोशन रहे सदा
आप की अनमोल यादों की परछाइयों के साथ
जन्म जन्मान्तर ऐसे ही बना रहे अपना साथ
देना आप ऐसा वरदान
किनारा
अहसास तुम्हारा भुला नहीं सकते
तुम मानो या ना मानो
सपने में भी हम
तुमसे इश्क लगाना छोड़ नहीं सकते
हिंसा
धधक उठा नफरत का दावानल
किया हैवानियत ने ऐसा शर्मशार
पल में फैलया दिया अमावास का अँधियारा
ह़र ओर पसर गया मौत का सन्नाटा
हुडदंग शोरशराबे में
खो गयी मानव चीत्कार कहीं
मासूमो के खून से
रंग गयी देश की आन बान सभी
खत्म हो गया सब
बदल गयी पहचान
Sunday, February 13, 2011
रचना
कीर्ति रचना जो भी कहो
वया करती है सभी मन के विचार
उमड़ता है जब भावनाओं का सैलाब
नयी रचना लेती है तब आकर
पिरों सुन्दर शब्दों में
कलमबंद हो जाते है जब विचार
हो जाते है तब सपने साकार
नाम
ज्ञानी नहीं हु
फिर भी लिखता हु गीत नया
जाने कब बह पड़े
मीठे संगीत की रस भरी धारा
सरगम लगेगी जब बरसने
नाम मेरा भी तब लगेगा छलकने
उपहास
यादों की परछायिओं में
कुछ बातें अधूरी रह गयी
ठहठहांको के बीच
दिल की बात दबी रह गयी
ज़माना समझ ना पाया जज्बातों को
उपहास बना दिया मेरे अरमानों को
शब्बाब
कितना हसीन तेरा ख्याल है
जैसे खिला गुलाब है
उससे भी हसीन तेरे प्यार का अहसास है
जैसे चांदनी में लिपटा चाँद का शब्बाब है
खिदमत
दिल से हसीन नजरान ओर क्या पेश करू
ओ जानेजाना तेरी खिदमत में
प्यार भरा छोटा सा ए दिल पेश करू
अर्ज है इतनी सी
इसे तुम कबूल करो
मेरे प्यार को अपनी रूह में आत्मसात करो
बर्बाद
तेरे इश्क में बर्बाद हो गए
सरेआम बदनाम हो गए
सहानभूति की वजाय उपहास का शिकार हो गए
देवदास मजनू उपनाम चुपचाप सुनते गए
तेरे इश्क में बर्बाद हो गए
खुश
दुआ रब से है इतनी सी
तुम यू ही सदा मुस्कराते रहो
फूलों की तरह खिलखिलाते रहो
नज़र ना लगे किसीकी
तुम ऐसे ही सदा खुश रहा करो
Friday, February 4, 2011
Thursday, February 3, 2011
पितरी स्नेह
स्नेह प्यार के हम थे सात नीर
जैसे स्वर संगीत के सात तीर
छुटा आपका साथ
बिखर गया जीवन संगीत
सरगम है अब अधूरी
फिर भी गुनगुना रहे
आपके सिखाये गीत
नाज रहे आपको
हम है आपके जीवन मधुर संगीत
आप ऐसे ही बसे रहो
हमारे गीत संगीत बीच
जुड़े रहे हम सबोके दिल
आप के स्नेह ओर आशीर्वाद से
भरे रहे जीवन में
मधुर गीत संगीत
स्वतंत्रता
स्वछन्द विचरण मैं करू
गगन गगन उड़ता फिरू
पंख लग जाये दो
परवाज़ भरता फिरू
ना कोई सरहद
ना कोई सीमा
ज़हा ले जाये पवन का झोका
बादलों से अटखेलियाँ करता मैं फिरू
स्वतंत्रता की मिठास चखता चलू
गगन गगन उड़ता फिरू
वफ़ा
चाहतों को अक्सर तलबगार नहीं मिला करते
भूले बिसरे मिले कभी
वो वफ़ा निभा नहीं सकते
नफरत करने वाले मगर कभी दगा नहीं करते
मिले जब कभी
वो बेवफा बन नहीं सकते
करीब
सुबह की यादों में
रात की बातों में
ख्यालों में अक्सर होता है कोई
अनजाना ही सही
पहचान नहीं , आकार नहीं कोई
फिर भी दिल के करीब होता है कोई
खाब्बों में ख्यालों में
अक्सर होता है कोई
कुछ तो
कुछ तो बात है
दिल आज भी तेरे नाम है
गुजर गयी सदियाँ
बिखर गया कुनबा
फिर भी इसे तेरा ही इन्तजार है
कुछ तो बात है
Wednesday, January 26, 2011
नमन
बड़े चले कदम
करतल ध्वनी शंख नाद के संग
सुर ताल से मिला रहे कदम
विजय घोष के संग
लाज रखी मातृभूमि की
कर जिन्होंने अपना सर्वसर बलिदान
नमन आज देश करे
कर उन वीर शहीदों को याद
इजहार
चाँदनी रात में
चाँद तारों के साथ में
हाथों में हाथ थामे
में ए इजहार करू
ओ साथी तेरे प्यार को
में अंगीकार करू
प्रणय इस बेला
सिंदूर भर तेरी मांग संवारू
चमक
यू लगे सूरज को भी था तेरा ही इन्तजार
अब तलक था इसिलये काले बादलों के दरमियान
भेजा जो तुने प्यार भरा पैगाम
चमक उठा प्यार भरी मुस्कराहट के साथ
लाचार
दर्द को मेरे रबा तू एक बार गले लगा ले
आह निकलेगी ना आंसू
पल में तड़प जाओगे
में हूँ कितना लाचार
झट से समझ जाओगे
अब तक जो ना सुनी फ़रियाद
सुनने उसे फ़ौरन दोड़े चले आओगे
लुफ्त
बिजली चमके मेघा बरसे
काले बादल लाये घटाए संग सारी
गूंजे आसमां बहे पवन वेग सयानी
कहे मन क्यों ना इस मौसम में
दिल को करने दे अपनी मनमानी
खूब भींगे नाचे गाये
लुफ्त उठाये ढेर सारी
ठिठुरन
काले बादलों ने समां ऐसा बांधा
दिन में रात घिर आयी
मस्त पवन की लहरे
शीतल मोज़े ले आयी
ठिठुरन ऐसी बड़ी
लिहाफ की गर्माहट भी
कम नज़र आयी
अहसास
तलाशा मैंने तुमको बहुत
हवों में तेरी खुशबू टटोली
सायों में तेरा अक्स तराशा
चन्दा निहारा
दर्पण निहारा
खुद में तेरा अक्स नज़र आया
बंद कर आँखे
दिल से पुकारा
मेरी धडकनों में
अहसास तेरा पाया
गुस्ताखी
डर लगने लगा है तक़दीर से अब
किस्मत धोखा ह़र बार ऐसा दे जाती है
पास आयी मंजिल भी
कोसों दूर चली जाती है
बदकिस्मती रब ने ऐसी लिखी
फूल एक भी खुशियों के
अब तलक पिरों ना पायी
दिल भी छूने को आतुर मंजिल
पर इस नसीब को ए
गुस्ताखी रास नहीं आती
मयखाना
जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना छलक जायेगा
होटों पे आते ही
सरुर इसका छा जायेगा
भुला के दुनिया सारी
आगोश में अपनी ए छुपा लेगा
महफ़िल तब सजने लगे
रूह बन जब रगों में बहने लगे
मस्ती की हिलोरें आने लगे
मदहोशी का नशा जब छाने लगे
जाम से जब जाम टकराएगा
मयखाना फिर छलक जायेगा
स्तब्ध
उलझाने अपनी गिनती रहे
वीरानगी में आहट टटोलते रहे
मौत का सन्नाटा
गुजर रहे ह़र लहमों
सिरहन बन दोड़ते रहे
स्तब्ध मौन गुमसुम साँसे
खामोश क़दमों से ताल मिलाते रहे
आसरा
पूर्ण नहीं हु
कुछ कमी है मुझ में
रब तुने भी आज जतला दिया
औरो की तरह हँस
दिल तुने भी दुखा दिया
विश्वास का आसरा था जो
तोड़ उसको , जिन्दगी को
आंसुओं के सैलाब में बहा दिया
Thursday, January 13, 2011
अधूरी हसरतें
कोशिश कई बार की
हसरते पर अधूरी रह गयी
तेरी चाहत सरुर बन गयी
पर दिल की बात जुबां पे आने से चुक गयी
इस नादान दिल को कैसे समझाये
तुम जब भी सामने आयी
हम तेरे हुस्न को ही निहारते रह गए
ओर दिल की बात कह नहीं पाये
नियति
मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी
आसरा मिला नहीं कोई
पनाह मांगती जिन्दगी
कदम अब थक गए
टूट गयी जिन्दगी
रुक मैं सकती नहीं
आखरी सांस तक चलना ही तेरी नियति
कह रही जिन्दगी
मंजिल मंजिल भटक रही जिन्दगी
उम्मीद
नया जोश नयी तरंगे
नयी मस्ती से सराबोर
नए साल की उमंगें
रंग भरी आतिशबाजी से सजी
रंगीन आसमान की सलवटे
संगीत की धुनों पे थिरकते चाँद सितारे
जशन में डूबी मस्ती भरी साँसे
गले लग उड़ेलती मस्ती भरी बाते
नया साल नयी उम्मीदें
छोर
एकान्त समुद्र का किनारा
उफनती सागर की लहरों का शोर
भंग कर रही दिल के बोल
अथाह सागर की मौजा का सहारा
नीले पानी के खारे बोल
मन ढूंड रहा अपना छोर
दीवाना
जिन्दगी का ह़र लहमा यादगार बना दिया
इस बेजान दिल में प्यार का रंग बरसा दिया
हमको भी प्यार करना सीखा दिया