RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, December 9, 2011
पहली मुलाक़ात
वो पहली मुलाक़ात
जैसे पहली बारिस का अहसास
था आँखों को किसीका इन्तजार
जैसे सावन को बारिस की आस
जिया धड़क रहा था बार बार
देख सनम को आस पास
जैसे कह रहा हो चाँद
बिन चांदनी मेरा क्या है अहसास
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