RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, December 10, 2011
अभिशाप
जिन्दगी खोक से निकलने को छटपटाती
दर्द के संग जीवन में कदम ले आती है
नाता दर्द से जो जोड़ा
आखरी साँसों तक उसका साथ निभाती है
शायद इसिलये जिन्दगी वरदान भी
अभिशाप कहलाती है
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