RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Thursday, December 8, 2011
उम्र
जोर चलता अगर उम्र पर
थाम लेता बचपन यहीं पर
सपनों की उस सुन्दर दुनिया में
ख्वाइश पूरी कर लेता जीने की
रंग देता जीवन के उन हसीन पलों को
बचपन की उम्र अगर फिर पास होती
काश थाम लेता बचपन यहीं पर
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