RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, December 30, 2011
जीत हार
तुम से जीत के भी
हारने को मन करता
तुम से हार
दिल को सकून मिलता है
ऐ कैसा बंधन है
जिसमे जिन्दगी हार जाने को मन करता है
तुम से जीत के भी
हारने को मन करता है
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