RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, December 27, 2011
लाली
कोहरे की चादर में लिपटी
सुबह की लाली
मुस्का रही कलियाँ
खिल रही लाली
बरस रहा नूर
छा रही शबनम की लाली
सिमट रही जिन्दगी
देख ठिठुरन की लाली
कोहरे की चादर में
लिपट रही सुबह की लाली
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