RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, December 20, 2011
आघात
टूटती है जब आस
बंद
नज़र आते है ह़र द्वार
चीत्कार उठती है सिसकियाँ
देख ह्रदय आघात
खत्म हो जाती है जिन्दगी
अँधेरे गर्भ में समाय
टूटती है जब आस
दिल को दे जाती है आघात
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