RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Wednesday, December 7, 2011
छलावा
जिन्दगी एक छलावा है
इस पल सबेरा उस पल अँधियारा है
यह तो बस एक हसीन सपना है
जो मौत के संग बिखर जाना है
जीन ले जो इन पलों को खुशियों से
मरके भी वो जिन्दा रहते है लोगो के दिलों में
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