RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, November 8, 2011
सपनों के घरोंदे
गुजर गए वो लहमे वो पल
जिनमें हम मुस्कराए करते थे
अब तो बस यादों के सहारे
जिन्दगी गुजारा करते है
यादों के इन हसीन पलों को
जिन्दा रखने के लिए
सपनों के घरोंदे बनाया करते है
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