RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, November 5, 2011
अरमान
तम्मनाये अभी बाकी है
हसरतें अभी आधी है
चलती रहे साँसे जब तलक
तब तलक धडकनों की आस बाकि है
जूनून है ये वो
प्यास जिसकी अभी बाकी है
मिट्ठी सी कशीश है ये
साँसे जिसके लिए अब तलक बाकि है
यारों इस मासूम दिल के अरमान अभी बाकि है
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