RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, October 29, 2011
बैगर
सेतु ऐसा बना
लफ्ज जो ना कह सके
आँखों ने कह दिया
रिश्ता कुछ ऐसा परवान चढ़ा
प्यार के बैगर
सारा जग बेकार लगा
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