RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, September 24, 2011
अनमोल माँ
बंटवारा हुआ जब घर का
कहा एक रिश्तेदार ने
भाई को मिली अपार धन दौलत
तुमको मिली सिर्फ आस
कहा मैंने , सुनो ए रिश्तेदार
सबसे अनमोल '' माँ '' मिली है मुझको , नादान
तुम क्या समझोगे
इसके आगे सारी दौलत है बेकार
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