RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Monday, September 19, 2011
आशाये
सूर्य नतमस्तक को
झुक गया हिमालय
उसकी आभा किरणों से
सज गए शिवालय
गूंज उठी अजान स्वर लहरी
प्रभात बेला फिर चली आयी
संग अपने नयी आशाये ले आयी
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