RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Tuesday, September 27, 2011
वेदना
खामोश लफ्ज सहमी आँखे
वेदना जो अभिव्यक्त करती है
मन मस्तिष्क को झिझोर जाती है
आघात दिल को ऐसा दे जाती है
जड़ चेतना शून्य हो जाती है
ओर ग़मों के दायरे में जीवन भर के लिए
दर्द का दामन थामा जाती है
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