RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Sunday, September 11, 2011
मौन आँखे
अक्सर दिल कुछ कहता है
गुमशुम मौन आँखे
चुपचाप सुनती है
आंसुओ में लिपटी आँखे
छलछला आने को तरसती है
डरती है मगर सोच के
भावनाओ के सैलाब में
कही जिन्दगी बह ना जाये
ओर दर्द के साये में
सहमी सहमी सी जिन्दगी गुजरती रहती है
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