RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Saturday, September 3, 2011
इम्तिहान
धैर्य धर धीरज रख
इम्तिहान की ऐ घड़ी भी
गुजर जायेगी
जीत ली जो संयम की बाज़ी
इस रात की सुबह फिर आएगी
बुलंद रख हौसले को
हार भी जीत में बदल जायेगी
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