RAAGDEVRAN
POEMS BY MANOJ KAYAL
Friday, July 22, 2011
कशमकश
ना इनकार ना इकरार
कशमकश में उलझी सांस
ह्रदय कहे
प्रगट करे कैसे इस दीवाने दिल के विचार
सिर्फ दो लफ्जों की है बात
कांपते है लव
पर कहने में दिल की बात
क्या पता उनको अच्छी ना लगे
जज्बातों भरी पात
कशमकश में उलझी है सांस
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